परमेश्वर की आवाज़ को सुनना

अय्यूब की तरह, मेरे लिए परमेश्वर के वचन और मार्गदर्शन अपनी रोज़ की रोटी से भी अधिक बहुमूल्य (लालसायित) रखना चाहती हूं। क्या आप भी? जैसे यशायाह के वचन सिखाते है, की मैं पीछे से आने वाली उस वाणी को सुन सकूं जो मुझे उस मार्ग में चलने को कहती है, जिसमें मुझे चलना है। लेकिन, मैं उस वाणी को कैसे सुनूं? और, क्या वह अभी तक कह रहा है? ढाढ़स बांधे; परमेश्वर बातचीत करता है! उन्होंने वार्तालाप के वरदान को रचा है इसका मतलब है कि वह निश्चय ही बात करते हैं, और हममें यह क्षमता है कि हम सुन सके, और उनकी आवाज़ सुनकर उत्तर दे सकें। यदि परमेश्वर हमसे अब भी बात कर रहें हैं, तो उनकी आवाज़ पहचानने के लिए अपनी ताकत से सबकुछ करें।


सुनिये! सुनने के कार्य ही की सबसे अधिक जरूरत है, तौभी सही बात चीत हेतु, यह अक्सर कमजोर पड़ जाती है। सबसे पहले, हम देखें परमेश्वर हम से किन तरीकों से बात करते हैं।


परमेश्वर अपने वचन द्वारा बात करते हैं। परमेश्वर अपने वचनों द्वारा अपनी इच्छा और योजना को पहले से ही प्रकट कर चुके है। परमेश्वर के वचन को पढ़ने में समय बिताना, सीधे उससे सुनने के सबसे मजबूत तरीकों में से एक है। परमेश्वर, फुसफुसाहट द्वारा भी बात करते हैं। वे कई बार हमारी आत्मा में नरमी से बोलते हैं, हमें सपने देते हैं, दृष्टांत देते हैं, और / या हमारी परिस्थितियों के माध्यम से हमें निर्देश देते हैं। वह हमारे विचारों को उनकी योजनाओं पर भी निर्देशित करते हैं।

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