मैं असमर्थ महसूस कर रहा हूँ।

जब हम अपने अतीत के बारे में अपने को असमर्त महसूस करते हैं, तो हम िोष की भावना को महसूस करते हैं। जब हम अपने भदवषय के बारे में अपने को असमर्त महसूस करते हैं, तो हमें भय महसूस होता है। जब हम वत्तमान में अपने को असमर्त महसूस करते हैं, तो हम तनाव को महसूस करते हैं। और जब हम ऐसा महसूस करते हैं दक हमारे जीवन में आने वाले लोग या पररदसरदतयाँ कभी नहीं बिलेंगी, तो हम क्ोदित हो जाते हैं।

असमर्तता की भावना सभी नकारातमक भावनाओं की जड़ है।

हम इस दवचार के सार दक हम अर्तवयवसरा, या अपने वजन, या एलजषी के बारे में कु छ नहीं कर सकते सार बड़े होते हैं, और िवाइयों से भरा और कमजोर जीवन को सवीकार करने को मजबूर करता है।

आइए आज हम इसे बिल

1. सूिी बनाएँ! परमेश्वर ने आपको भय का आतमा नहीं दिया है; परनतु उसने आपको सा्र्य्त, प्ररे्, और एक डसथर ्न दिया है।

2. डवश्वास करें डक आप ्ें सा्र्य्त है। इदिदसयों 3:20 में कहा गया है, “अब परमेश्वर जो ऐसा सामरषी है दक हमारी दवनती और समझ से कहीं अदिक काम कर सकता है, उस सामरय्त के अनुसार जो हम में काय्त करता है।” आप में वह सामरय्त है जो परमेश्वर को वह करने में योगय करता है जो आपकी सोच या समझ से परे है!

3. बड़ा सोिें और बड़ा ्ाँगरे! परमेश्वर को कु छ करने के दलए िें। क्योंदक वह दकसी भी चीज पर समझ से परे काय्त कर सकता है, हमें कम से कम उसे आरमभ करने के दलए एक आिार िेना होगा।

4. सव्यं ्ें पडवत्र आत्ा को पहिानें। प्रेररतों 1:8 कहता है, “परनतु जब पदवत् आतमा तुम पर आएगा तब तुम सामरय्त पाओगे   ” यह सामरय्त (ड्यूनाद्मस = द्वस्ोटक) पहले से ही आप में है। रोदमयों 8:11 कहता है, “उसी का आतमा दजसने यीरु को मरे हुओं में से दजलाया, तु् ्ें बसा हुआ है।”

5  सी्ाओं को हटा दें। परमेश्वर को सीदमत न करें। भजन 78:41 कहता है दक इस्ाएदलयों ने परमेश्वर को सीदमत कर दिया रा क्योंदक उनहोंने उसकी सामरय्त को समरण नहीं रखा (वचन 42)। जब हम उसके दपछली आरीषों को समरण करते हैं तब हम परमेश्वर के हार को हमें आरीषें िेने के दलए सवतंत् कर िेते हैं।

6. अपरेषिा करें! अपेषिा की सामरय्त को कभी कम न समझें। परमेश्वर की सामरय्त से आज अपने को सामरषी बनाने की अपेषिा करें। उसके आतमा के द्ारा अपनी अगुवाई दकए जाने की अपेषिा करें।

इसरे सोिें और इसरे कहें

इसी समय मेरे पास अपने जीवन में सा्र्य्त है। अपने भीतर उपदसरत पदवत् आतमा के द्ारा मेरे पास प्रलोभन को िूर करने की सामरय्त है, बेहतर बनाने के दलए अपने जीवन को बिलने की सामरय्त है, चंगाई प्राप्त करने की सामरय्त है, षिमा करने की सामरय्त और परमेश्वर के वचन को बोलने की सामरय्त है और उसकी प्रदतज्ाओं को अपने जीवन में पूरा होते िेखने की सामरय्त है। मैं बड़ा सोचँूगा और बड़े या अदिक की माँग क ँरूगा, और इसदलए मेरे भीतर उपडसथत पर्रेश्वर करे आत्ा की सा्र्य्त यीरु के नाम से यह सब मेरे जीवन में इसे पूरा करेगा!

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