आज हम उस दवचार से हटने का उपवास कर रहे हैं जो कहता है, “पर्रेश्वर इसरे क्यों नहीं रोक रहा है?” यह सोच इस बात की गलत… Read more “परमेश्वर इसे क्यों नहीं रोक रहा है?”
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“मैं िोषी महसूस करता हूँ।”
आज हम उस दवचार से हटने का उपवास कर रहे हैं जो कहता है, “्ैं दोर्ी ्हसूस करता हूँ।” हम सभी के मन में ऐसे दवचार आते… Read more ““मैं िोषी महसूस करता हूँ।””
एक नकारातमक दृदटिकोण
आज हम नकारात्क दृडष्टकोण से हटने का उपवास कर रहे हैं।
“मैं रक चुका हूँ।”
आज हम उन भावनाओं और दवचारों का उपवास कर रहे हैं जो कहते हैं, “्ैं थक िुका हूँ!”
“कु छ भी अचछा नहीं हो रहा है, सब बुरा हो रहा है! ”
आज हम उस दवचार से हटने का उपवास कर रहे हैं जो कहता है, ” कु छ भी अचछ नहीं हो रहा है, सब बुरा हो रहा है!”
परमेश्वर मुझ पर क्ोदित है।
आज हम उस दवचार से हटने का उपवास कर रहे हैं जो कहता है, “पर्रेश्वर ्ुझ पर रिोडधत है।”
मैं इस नुकसान से कै से उभर सकता हूँ?
हम सब ने दकसी न दकसी समय पर कु छ खोया है। यदि यह पैसा नहीं, तो यह समय, समबनि, अवसर, रादनत या आशा हो सकती है। िीक है, आज हम इसे वापस पाना आरमभ करते हैं!
“मुझे क्ोि आ रहा है।”
क्ोि एक सामरषी भावना है जो सपटि रूप से हमें और िूसरों को िेस पहुँचा सकता है। यह बुरे दनण्तयों, षिदतग्सत समबनि, तनाव और रारीररक बीमारी की ओर ले जाता है।
“मेरे सार क्या गलत है?”
हमारा गलत सोच से हटने वाला उपवास काम कर रहा है! मेरे सार इस यात्ा पर बने रहें। ये बीज आप में उन सवटोत्तम िलों को उतपनन करेंगे, दजनहें आप सिा अपने जीवन के प्रतयेक षिेत् में चाहते रे और दजनकी आपको आवशयकता री।
“मैं तनावग्सत महसूस कर रहा हूँ।”
तनाव एक सामरय्तराली मानदसकता है, दजसे हम खतम करने जा रहे हैं। यह दवचारों या आरंकाओं का एक संग्ह है जो आपके मन में तब तक रहता है जब तक वे आपके भीतर नहीं चले जाते हैं और आपकी भावनाओं, आपके सवासरय और आपके समबनिों को दनयदनत्त नहीं कर लेते।